भारत भाग्य विधाता के साथ बन सकता है विश्व विधाता

○भारत देश पूर्व से ही भाग्य को बनाने वाला भाग्य विधाता देश रहा है आज भी भारत देश दुनिया का धर्म गुरु है बात करे सत्ययुग द्वापरयुग त्रैतायुग की भारत एक ऐसा देश है जिसमे ज्ञान का उदेय हुआ है जैसा की आज हम स्वयं ही देख रहे है विभिन्न पृकार की मिसाइले विभिन्न पृकार के अस्र शास्र जिसके अभिष्कारो पर उत्सव और दिवस मनाये जाते है 
○लेकिन वास्तविकता तो यह है यह अस्र शास्र भारत जैसे विश्व गुरु देश के लिए नई बात नही है आज जो शास्र या मिसाइल बनाई जा रही है इनसे ज्यादा शक्तिशाली अस्रो का उपयोग रामायण महाभारत के दौरान हुआ आज कई ऐसी भी मिसाइल या अभिष्कार है जिससे हमारे शत्रु देश धमकाते भारत एक ऐसा देश है जो पूर्वकाल से अब तक अनेको शास्रो को विभल कर मुहतोड़ जबाब देने में सक्षम है।
        जो मिसाइले या शास्र बनाने में अरबो खरबो की लागत           लगायी जाती है वह पूर्व मे हमारे ऋषिमुनि तप साधना से हासिल कर लिया करते थे। 
लेकिन आज हमारे देश में जन्मे विध्यालय विश्वविध्यालय जिसमे धन लेकर शिक्षा तो दिन जाती है परन्तु साधना या तपोवल जैसी कोई सिध्दी की बात तक नही कि जाती।
भारत पूर्व की तरह विश्व गुरु आज भी बन सकता है यदि आज हमारे देश में हिन्दु धर्म गृन्थो को जान कर मंत्र सिद्धियो  की शिक्षा दी जावे ।
हम भारतीय होने के बावजूद अपनी शक्तियो को नही पहचानते और पहचाने भी कैसे हमे वैज्ञानिक पाठ और अभिष्कार की शिक्षा तो दी जाती परन्तु हमारे गृन्थो की शिक्षा नाम पहचान ने तक ही सीमित कर दी गयी है।
जरूरत है हमे आज हमारे ज्ञान और धर्म को पहचानने की ।
 यकीनन जब हमे अपने तप योग साधना और धर्म का ज्ञान पूर्णाता हो जायेगा तब हमे किसी अस्र शास्र की जरूरत नही पड़ेगी और भारत भाग्य विधाता के साथ ही भारत विश्व विधाता कहलायेगा।